रविदास जयंती के उपलक्ष्य में ग्राम मूलदासपुर माजरा में आयोजित रविदास लीला नाटक एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक उत्सव का प्रतीक रहा। इस नाटक के माध्यम से संत रविदास के जीवन और उनकी भक्ति से जुड़े प्रसंगों को मंचित किया गया। नाटक में दिखाया गया कि कैसे पंडितों ने रविदास की कौड़ी लेकर गंगा से कंगन प्राप्त किया, लेकिन उन्होंने वह कंगन रविदास को न देकर चोरी से काशी नरेश के दरबार में पेश किया। इस घटना के बाद काशी नरेश के दरबार में रविदास की भक्ति और चमत्कारों की चर्चा हुई, जिससे काशी के पंडित पहली बार उनकी महानता से परिचित हुए।
नाटक में विभिन्न पात्रों का अभिनय कलाकारों ने बखूबी निभाया। गंगा का अभिनय वैभवी ने किया, जबकि पंडितों की भूमिका देवराज, युवराज और निकेतन ने निभाई। संत रविदास का किरदार मुनेश कुमार ने अदा किया, जबकि काशी नरेश और उनकी रानी का अभिनय क्रमशः हर्ष और शुभम ने किया।
इस आयोजन के आयोजक मंडल में छत्रपाल (अध्यक्ष), सहदेव कुमार, राजकुमार पाटिल, मांगेराम, दिनेश कुमार, देवराज, नाथीराम, मानसिंह और मुनेश कुमार जैसे गणमान्य लोग शामिल थे। मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय रेलवे के लोको पायलट वेदप्रकाश उपस्थित रहे।
यह आयोजन न केवल संत रविदास के जीवन और उनकी शिक्षाओं को याद करने का अवसर था, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को भी मजबूत करने का माध्यम बना। इस तरह के आयोजन समाज में आध्यात्मिकता और नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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