छात्रसंघ और उत्तराखंड की सियासत: एक विश्लेषण उत्तराखंड के छात्रसंघ से निकले दिग्गज, जिन्होंने संभाली मुख्यमंत्री की कुर्सी
उत्तराखंड की सियासत में छात्रसंघ की पाठशाला ने कई ऐसे सितारे दिए, जिन्होंने न केवल राज्य की राजनीति को दिशा दी, बल्कि देश के मंच पर भी अपनी छाप छोड़ी। हाल ही में चर्चा गरम है कि उत्तराखंड के चार मुख्यमंत्रियों की राजनीतिक जड़ें छात्रसंघ से जुड़ी हैं। इनमें तीन मुख्यमंत्री—नारायण दत्त तिवारी, भुवन चंद्र खंडूड़ी और रमेश पोखरियाल 'निशंक'—छात्रसंघ अध्यक्ष रहे, जबकि वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी छात्रसंघ के महासचिव के रूप में अपनी नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवा चुके हैं। आइए, इनके सफर पर एक नजर डालते हैं और चर्चा करते हैं कि कैसे छात्रसंघ ने उत्तराखंड की सियासत को आकार दिया। नारायण दत्त तिवारी: स्वतंत्रता से सियासत तक का सफर नारायण दत्त तिवारी, जिन्हें 'विकास पुरुष' के नाम से जाना जाता है, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे। उनकी नेतृत्व क्षमता का आलम यह था कि स्वतंत्रता संग्राम में भी वे सक्रिय रहे। 2002 से 2007 तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने राज्य के औद्योगिक और आर्थिक विकास की नींव रखी। चर्चा है कि तिवारी की नीतियों ने उत्तराखंड को निवेश क...